Madhya Pradeshmauganj

Mauganj News: मऊगंज में 200 पुलिस कर्मियों के भरोसे है 6,16,645 लोगों की सुरक्षा

Mauganj News Hindi: पुलिस बल की भारी कमी से जूझ रहा मऊगंज जिला, सिर्फ 200 पुलिस कर्मियों के भरोसे है पूरे जिले की सुरक्षा

WhatsApp Group Join Now

Mauganj News: मध्य प्रदेश का 53 व जिला मऊगंज, जहां जिला बनते ही अचानक से अपराधों में अपार बढ़ोतरी देखने को मिली, कुछ लोगों ने माना कि शायद मऊगंज जिला अभिशापित हो चुका है तो कुछ लोगों को लगा शायद शनि की साधेसाती चल रही है

जिस मऊगंज में कभी कभार ही बड़ी घटनाएं देखने को मिलती थी,  अब वही मऊगंज जिला बनते ही अचानक उबल उठा और इस क्षेत्र में शिखा कांड, बराव पुलिस पिटाई कांड, महादेवन कांड, गडरा कांड जैसी घटनाएं घट चुकी है और अब एक नया खजुरहान कांड धीरे-धीरे सुलग रहा है.

ALSO READ: ई रिक्शा चालकों के लिए बुरी खबर, बन रहे जाम की सबसे बड़ी वजह, अब नियम तोड़ने पर होगी कार्रवाई

15 अगस्त 2023 को मऊगंज बना था नया जिला

मऊगंज जिले में अपराधों के आंकड़े तो चौंकाने वाले हैं, लेकिन इसके पीछे की सच्चाई हैरान करने वाली है.

मऊगंज जिले में घट रहे अपराधों की हकीकत जानने के लिए जब हमने पड़ताल की तो मालूम चला कि मऊगंज जिले में पुलिस की संख्या आदतन अपराधियों से भी कम है, दरअसल 15 अगस्त 2023 को रीवा से अलग करके मऊगंज को मध्य प्रदेश का 53 व नया जिला बनाया गया था.

इससे ठीक पहले मऊगंज कलेक्ट्रेट कार्यालय के प्रांगण में शिवराज सिंह चौहान ने मऊगंज को जिला बनाने की घोषणा करते हुए कई बड़े वादे किए थे,

 

शिवराज के इसी वादे के सहारे वर्ष 2023 का विधानसभा चुनाव लड़ा गया और मऊगंज की जनता ने भी अपना फर्ज अदा करते हुए शिवराज से किया हुआ वादा पूरा किया,

लेकिन अब ऐसा लगने लगा है जैसे मऊगंज के साथ वाकई में भेदभाव किया जा रहा है, और मऊगंज सिर्फ चुनावी जिला बनकर रह गया है.

ALSO READ:  Panchayat Season 4 का इंतजार खत्म, बस कुछ देर में रिलीज होगी नई सीरीज

200 पुलिस कर्मियों के भरोसे है पूरे जिले की सुरक्षा

15 अगस्त 2023 से मऊगंज जिला अपने अस्तित्व में आया, लेकिन 2 वर्ष बीत जाने के बाद भी मऊगंज में पुलिस अधिकारियों और कर्मचारियों के पद तक स्वीकृत नहीं हो पाए हैं…

रीवा से अलग होने के बाद मऊगंज जिले को चलाने के लिए रीवा से मात्र 19 प्रतिशत बल मिला था, जिसके बाद SP से लेकर आरक्षक तक कुल 200 पुलिसकर्मी तैनात हुए, इन्हीं पुलिस कर्मचारियों के सहारे लगभग 2 साल से मऊगंज जिले की कानून व्यवस्था चल रही है.

कई बार मऊगंज पुलिस अधीक्षक कार्यालय से पत्र लिखकर 1168 पुलिस कर्मियों का बाल भी मांगा जा चुका है, जिसमें तीन एसडीओपी भी शामिल है, 

लेकिन मऊगंज के साथ इस कदर सौतेला व्यवहार किया गया जिसकी मऊगंज वासियों ने कल्पना भी नहीं की थी, जिला बनने के बाद दूसरे जिले के कबाड़ और कंडम वाहनों को मऊगंज भेज दिया गया, पुलिस बल के नाम पर मात्र 200 पुलिसकर्मियों को तैनात किया गया.

आपको जानकर हैरानी होगी कि मऊगंज जिले में तैनात यह 200 पुलिसकर्मी ही जिले के 1070 गांव में निवास करने वाली 6 लाख 16 हजार 645 जनसंख्या की रखवाली कर रहे हैं.

इन 200 पुलिस कर्मियों में से कुछ पुलिसकर्मी न्यायालय में तैनात है तो कुछ पुलिस लाइन में मौजूद है, कुछ पुलिस थाने और चौकी में पदस्थ हैं, तो कुछ यातायात व्यवस्था संभाल रहे हैं.

कुछ पुलिसकर्मी हाईवे में चेन स्नेचर के पीछे दौड़ रहे हैं, तो कुछ पुलिसकर्मी हर महीने यहां के जनप्रतिनिधियों के धरना प्रदर्शन और विरोध प्रदर्शन की व्यवस्था बनाने में लगे हुए हैं.

ALSO READ: Mauganj News: मऊगंज निहाई नदी के इस घाट में नहाने पर पूरी तरह से प्रतिबंध, नदी के किनारे लगाया गया चेतावनी बोर्ड

मऊगंज जिले के तीन स्थानों पर प्रभावी है धारा 163

मऊगंज एक ऐसा जिला भी है जहां कई महीनो से तीन स्थानों पर धारा 163 प्रभावशील है, और इन स्थानों पर पुलिस भी तैनात है.

स्थिति की गंभीरता का अंदाजा आप ऐसे लगा सकते हैं, कि जब भी मऊगंज जिले में लॉयन ऑर्डर की स्थिति निर्मित होती है तो जिले की पुलिस लाइन, समस्त थाना और चौकी को खाली कर उस संवेदनशील स्थान के लिए पुलिस बल तत्काल रवाना किया जाता है.

इतना ही नहीं बल्कि स्थिति को नियंत्रण में करने के लिए अन्य जिलों से पुलिस बल मंगाया जाता है, तो इस तरह से मऊगंज जिले की कानून व्यवस्था बैसाखी के सहारे चल रही है.

अगर मऊगंज जिले में पर्याप्त पुलिस बल होता तो शायद गडरा गांव की घटना को काफी हद तक कंट्रोल में लाया जा सकता था, शायद गडरा गांव में सनी द्विवेदी की हत्या न होती,, और शायद ASI रामचरण गौतम शहीद ना हुए होते..

यह बात कड़वी जरूर है मगर स्वीकार करने योग्य है कि मऊगंज जिले के साथ वाकई में भेदभाव किया जा रहा है और मऊगंज मात्र चुनावी जिला बनकर रह गया है. जहां कलेक्टर और एसपी कार्यालय के अलावा सारे विभाग रीवा से ही संचालित हो रहे हैं.

जिला बने 2 साल का समय बीत जाने के बाद भी आज तक ना जरूरी इंफ्रास्ट्रक्चर है और ना ही पुलिस कर्मियों के लिए आवास की व्यवस्था, इतना ही नहीं बल्कि कलेक्ट्रेट और एसपी कार्यालय की नींव तक नहीं रखी गई है.

मऊगंज मध्य प्रदेश का एक ऐसा जिला भी है जहां सिर्फ पांच थाने हैं, इन्हीं पांच थानों की जिम्मेदारी एसडीओपी के पास भी है, इसी पांच थाने की जिम्मेदारी एडिशनल एसपी के पास भी है, और इसी पांच थाने की जिम्मेदारी SP के पास भी है.

जरूर पढिए

Back to top button
Close

Adblock Detected

Please consider supporting us by disabling your ad blocker!